लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र

बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2631
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र

प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।

अथवा

भारत में चुनाव सुधारों की क्यों आवश्यकता है? धन शक्ति चुनावों पर कैसे प्रभाव डालती हैं?
अथवा
भारतीय चुनाव व्यवस्था में क्या कमियाँ है? इन कमियों के निवारण के उपाय बताइये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारत में निर्वाचन पद्धति के प्रमुख दोष कौन से हैं?
2. निर्वाचन में संकीर्ण विचारों की भूमिका लिखिए।।
3 अल्पमत का प्रतिनिधित्व भारतीय निर्वाचन पद्धति का प्रमुख दोष है, स्पष्ट कीजिए।
4. चुनाव में धन की बढ़ती हुई भूमिका बताइए।

 

 

उत्तर-

 

निर्वाचन पद्धति के दोष

 

वर्तमान भारत में निर्वाचन की पद्धति में कई दोष व्याप्त हैं भारत की निर्वाचन प्रणाली पर यदि हम ष्टिपात करें तो हमे निम्नलिखित दोष दिखाई पड़ते हैं -

1. अल्पमत का प्रतिनिधित्व- भारत में अन्य देशों की तरह एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र होते हैं, जनमें निर्वाचित होने के लिए कई-कई प्रत्याशी उम्मीदवार होते हैं उन सभी प्रत्याशियों में जिस प्रत्याशी को सर्वाधिक मत प्राप्त होते हैं उसे विजयी घोषित किया जाता है, किन्तु उस विजयी प्रत्याशी के मिले मत इसके अन्य सभी प्रत्याशियों को मिले कुल मतो से काफी कम होते हैं।

2. चुनाव में धन का प्रभाव- वर्तमान निर्वाचन प्रणाली में निर्वाचन की संस्कृति बदल गई है आज निर्वाचन प्रणाली में धन का प्रभाव इतना अधिक बढ गया है कि उसके प्रभाव के कारण कोई गरीब उम्मीदवार कितना ही योग्य क्यों न हो वह चुनाव जीत ही नहीं सकता। चुनाव में धन पानी की तरह बहाया जाता है तथा कभी-कभी तो विभिन्न प्रकार के आर्थिक प्रलोभनों से मतदाता को आकर्षित किया जाता है।

आज चुनाव में एक अत्यन्त गम्भीर दोष चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका के रूप में उभरा है। पद्यपि हमारे कानून निर्माता इस दिशा सचेत थे। यही कारण है कि आज चुनाव आयोग ने धन के असीमित उपयोग को रोकने की दिशा में कठोर कदम उठाये हैं। जिसके कारण कुछ ऐसे मामले सज्ञान एव प्रकाश में आये है कि कुछ राजनीतिक दल तथा प्रत्याशियों ने वोट के नाम पर नोट बाटकर चुनाव जीतने की कोशिश करते हुए पकड़े गये जिनके ऊपर आयोग ने कानूनी कार्यवाही को अंजाम दिया है।

चुनाव में धन का दुरुपयोग रोकने के लिए निम्न प्रयास किये जा सकते हैं -

1. राजनीतिक दलों के आय-व्यय की विधिवत जांच।

2 संसद तथा विधान सभाओं के लिए एक साथ चुनाव की व्यवस्था

3. एक समय में एक प्रत्याशी के एक से अधिक स्थानों से चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध

4. चुनाव अवधि में सार्वजनिक संस्थाओं को अनुदान देने पर रोक

5. चुनाव खर्च का भार पूर्णतया आंशिक रूप से राज्य सरकार द्वारा वहन करना।

3. गुण्डागर्दी तथा बूथ कैप्चरिंग - आजकल समाचार पत्रों में इस प्रकार की घटना आम रूप से पढ़ने को मिलती है कि गुण्डागर्दी के आधार पर धमकी देकर अपने पक्ष में मतदान कराया गया। कभी- कभी तो मतदान केन्द्र पर कब्जा कर फर्जी मतदान करा दिया जाता है। इसे बूथ कैप्चरिंग कहते हैं।

4. मतदान कर्मचारियों द्वारा पक्षपात - मतदान अधिकारी और कर्मचारी भी पूर्णतया निष्पक्ष नहीं होते। वे मतदान स्थल पर पक्षपात कर तथा मतगणना में हेराफेरी कर अपने पक्ष के उम्मीदवार को जिताने का भरसक प्रयास करते हैं।

5. सत्तारूढ़ दल द्वारा सत्ता का चुनाव में दुरुपयोग - जिस दल के हाथ में निर्वाचन के समय सत्ता होती है वह प्रचार में तथा निर्वाचन में सत्ता से प्राप्त साधनों का जमकर दुरुपयोग करता है। कर्मचारियों का पदाकन अपनी सहूलियत से करता है।

6. निर्वाचन क्षेत्रों का बड़ा होना-  बड़े-बड़े निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकांश लोग उम्मीदवार को   निकट से नहीं जानते इसलिए वे अपने मत का सही व्यक्ति के निर्वाचन में प्रयोग नहीं कर पाते।

7. स्वतन्त्र उम्मीदवारों का कम चुना जाना- स्वतंत्रत उम्मीदवार बहुत कम चुने जाते हैं क्योंकि दलीय आधार पर उम्मीदवार को विभिन्न सुविधायें दी जाती है तथा जनता स्वयं भी उम्मीदवार के बारे में अधिक जानती नहीं है वह राजनीतिक दल के कार्यक्रम के आधार पर ही मतदान करना अधिक सुविधा जनक मानती है।

8. निर्वाचन में जनता की घटती रुचि- वर्तमान काल में जनता की रुचि निर्वाचनों में बराबर घटती जा रही है। इसका प्रमाण मतदान का घटता प्रतिशत है। प्रायः निर्वाचनों में 50 प्रतिशत से कम लोग ही मत डालते हैं। यह निर्वाचनों में जनता की घटती रुचि का परिचायक है।

निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के उपाय

निर्वाचन में धन (Money) और बाहुबल (Muscle ) के बढ़ते प्रभाव ने स्वतन्त्र और निष्पक्ष निर्वाचन के समक्ष प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। निर्वाचन को और सार्थक और निष्पक्ष बनाने के निमित्त समय-समय पर राजनीतिक और गैर राजनीतिक स्तर पर अनेक सुझाव दिये गये। जो निम्नलिखित हैं-

1. निर्वाचन आयोग का पुनर्गठन (Re-organization of Election Commission) - आलोचकों का मत है कि निर्वाचन आयोग का गठन दोषपूर्ण है। वर्तमान में मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति मन्त्रिमण्डल (व्यवहार में प्रधानमन्त्री) के परामर्श से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

2. स्वतन्त्र निर्वाचन प्रणाली (Independent Election Machinery) - निर्वाचन आयोग की राज्य स्तर पर अपनी प्रशासकीय मशीनरी होनी चाहिए और इसके अधिकारों में भी वृद्धि की जानी चाहिए। वर्तमान में निर्वाचन आयोग अपने कार्यों के लिए पूर्णतया केन्द्र और राज्य सरकारों पर निर्भर है। राज्य सरकारों की सहायता के बिना यह मतदान पंजिकाओं (Electroal Rolls) को भी अद्यतन (Up-to-date) नहीं रख सकता।

3. सभी स्तरों पर चुनाव एक साथ आयोजित हों (Elections at all levells should be Organized Simultaneously) - यदि लोकसभा, विधानसभाओं तथा स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ आयोजित किये जायें तो खर्च में काफी कमी हो सकती है। संवैधानिक संशोधन करके ऐसी व्यवस्था सहज ही की जा सकती है।

4. चुनाव प्रचार का व्यय राज्य द्वारा उठाया जाना- विभिन्न स्तरों पर एक साथ निर्वाचन करवाने के साथ-साथ राज्य द्वारा एक निश्चित मात्रा में चुनाव प्रचार का खर्च भी उठाया जाना चाहिए। यह व्यवस्था की जा सकती है कि पिछले निर्वाचन में जिन दलीय स्वतन्त्र प्रत्याशियों ने 25 प्रतिशत या अधिक मत प्राप्त किये हैं, उन्हें आयोग द्वारा निर्धारित व्यय राशि का 75 प्रतिशत दो किश्तों में राज्य द्वारा उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

5. जाली प्रत्याशियों को प्रतिबन्धित करना - गैर गम्भीर (Non-Serious) - प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा अनेक उपाय किये गये हैं जैसे- प्रत्याशियों की जमानत राशि को लोकसभा के लिए 5,000 रुपये और विधानसभा के लिए 2,500 रुपये करना है स्वयं प्रत्याशियों के लिए टेलीफोन तथा रियायती दर पर छपाई हेतु कागज न उपलब्ध कराना तथा उन प्रत्याशियों को अयोग्य घोषित करना जो न्यूनतम 20 प्रतिशत वैध मत नहीं प्राप्त करते हैं।

6. फोटो पहचान पत्र- फर्जी मतदान जोकि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए चिन्ता का विषय है को रोकने तथा बाहुबलियों की बूथ कैपचरिंग की घटनाओं को नियंत्रित करने के उद्देश्य से सभी मतदाताओं को फोटो युक्त पहचान पत्र दिये जाने सम्बन्धी चुनाव आयोग के सुझाव के तहत भारत सरकार ने भारत के सभी मतदाताओं को फोटो युक्त पहचान पत्र देने की प्रक्रिया का शुभारम्भ मुख्य चुनाव आयुक्त श्री टी० एन. शेषन के नेतृत्व में सन् 1993 में किया। यद्यपि यह कार्य काफी तीव्रगति से प्रारम्भ किया गया कि लोक सभा चुनाव के पूर्व ही समस्त मतदाताओं को फोटो युक्त पहचानपत्र दे दिये जायेंगे तथा फोटो युक्त पहचान पत्र के बिना मताधिकार का प्रयोग न किया जा सकेगा। किन्तु इस प्रक्रिया के अनुपालन में अनेकों कठिनाइयाँ आने के कारण इसे समय से पूरा नहीं किया जा सका। यह प्रक्रिया आज भी अधूरी है। फोटो युक्त पहचानपत्र को अनिवार्य बनाने से जाली मतदान को रोकने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की जा सकती है। यद्यपि अब भारत सरकार ने फोटो युक्त मतदान सूची तैयार कराने की व्यवस्था पर भी विचार कर रही है।

अभी फोटो युक्त पहचान पत्र की उपयोगिता मात्र चुनाव में मतदान तक सीमित है किन्तु यदि इस पहचान पत्र को बहुउद्देश्यीय जैसे जन्मतिथि प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, व्यक्तिगत परिचय पत्र इत्यादि को भी इसमें सम्मिलित कर लिया जाये तो शायद इसकी उपादेयता सार्थकता एवं प्रासंगिकता और भी बढ़ जाये।

7. निर्वाचन समय-सारिणी को प्रभावशाली बनाना - प्रत्याशियों के चुनावी व्यय को कम करने के लिए यह वांछनीय होगा कि निर्वाचन की समय-सारणी को प्रभावी बनाया जाय एवं नामांकन की अन्तिम तिथियों के तुरन्त बाद नामांकन पत्रों की जाँच हो जानी चाहिए। 2 दिन का समय नाम वापसी के लिए होना चाहिए और चुनाव प्रचार के लिए अधिकतम 15 दिन का समय होना चाहिए।

8. उप-चुनाव शीघ्रताशीघ्र आयोजित किये जायें- प्रायः उप-चुनावों के आयोजन में अधिक समय लगता है। इससे सहज ही प्राधिकारियों के प्रति लोगों में सन्देह की भावना घर कर लेती है। लोकसभा की संयुक्त संसदीय समिति ने यह सुझाव दिया है कि सभी उप-चुनाव अधिकतम 6 माह की अवधि के भीतर आयोजित कर लिए जाने चाहिए।

9. इलेक्ट्रॉनिक मशीन का प्रयोग- मतदान प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाने के लिए इलेक्ट्रानिक मशीन के प्रयोग का भी सुझाव दिया गया है। इससे मतदान प्रक्रिया को तेजी से तो पूरा किया ही जा सकेगा, व्यय भी कम होगा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के उद्भव और विकास के कारणों की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में कांग्रेस के उदारवादी चरण की विचारधारा, कार्यपद्धति, माँगें, सीमाओं के आलोक में मूल्यांकन कीजिए।
  3. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जन्म के संदर्भ पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- काँग्रेस में उग्रवादी विचारधारा के उद्भव के क्या कारण थे?
  5. प्रश्न- भारत में राष्ट्रवाद के उदय के तात्कालिक कारण क्या थे?
  6. प्रश्न- बंगाल विभाजन के निहितार्थ स्पष्ट करते हुए स्वदेशी आन्दोलन का वर्णन कीजिए
  7. प्रश्न- कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों का उल्लेख कीजिए।
  8. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- उदार राष्ट्रवादियों की विचारधारा एवं कार्यपद्धति का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारतीय उदारवादियों के योगदान पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- उग्रवादी राष्ट्रीय आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके विकास के समय की राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए।
  12. प्रश्न- सन् 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  13. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  14. प्रश्न- जलियाँवाला हत्याकांड की घटना तथा उसके प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- खिलाफत आन्दोलन से क्या अभिप्राय है? खिलाफत आन्दोलन के उदय एवं विकास की विवेचना कीजिए।
  16. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन की असफलता के कारणों पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- असहयोग आंदोलन के सिद्धांतों एवं कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- वैध शासन प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसकी असफलता के क्या कारण थे?
  20. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा' का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- 'जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- रौलेक्ट एक्ट क्या था?
  24. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  25. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' के विषय में आप क्या जानते हैं? इसे आरम्भ करने के क्या कारण थे?
  29. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता क्या था?
  30. प्रश्न- संविधान सभा का निर्माण किस प्रकार किया गया स्पष्ट कीजिए तथा अपने कार्य निष्पादन में इसे किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
  31. प्रश्न- भारतीय संविधान सभा की अवधारणा का विकास किस प्रकार हुआ, वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- संविधान से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- भारतीय संविधान के निर्माण की अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- संविधान सभा के प्रकृति स्वरूप की चर्चा करते हुए यह भी स्पष्ट कीजिए कि क्या इसे 'वकीलों का स्वर्ग' कहा जा सकता है?
  35. प्रश्न- क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि भारतीय संविधान 1935 के भारत शासन अधिनियम का वृहत् संस्करण है? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिए। संविधान के मुख्य प्रकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थी?
  38. प्रश्न- संविधान सभा द्वारा संविधान के लिए उद्देश्य प्रस्ताव क्या था? संविधान निर्माताओं के सामने संविधान निर्माण में क्या-क्या समस्याएँ थीं?
  39. प्रश्न- लिखित व निर्मित संविधान से अभिप्राय बताइए।
  40. प्रश्न- संविधान सभा को कार्य निष्पादन में किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
  41. प्रश्न- संविधान सभा के कार्यकरण की चर्चा कीजिए।
  42. प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट (1928) की प्रमुख सिफारिशें क्या थीं?
  43. प्रश्न- पं. नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (1946) के महत्वपूर्ण प्रस्ताव क्या थे?
  44. प्रश्न- भारतीय संविधान की मौलिकता पर टिप्पणी लिखिए।
  45. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम 1935 पर प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- 'प्रारूप समिति' पर टिप्पणी लिखिये।
  47. प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट- 1928 पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना की भूमिका से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना उद्देश्य तथा महत्व बताइये।
  49. प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना के स्वरूप की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
  51. प्रश्न- 73 वें संविधान संशोधन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- संविधान की प्रकृति से आप क्या समझते हैं?
  53. प्रश्न- भारतीय संविधान की विशालता के क्या कारण हैं?
  54. प्रश्न- भारतीय संविधान में केन्द्र को शक्तिशाली क्यों बनाया गया?
  55. प्रश्न- भारतीय संविधान में संशोधन प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- संविधान की प्रस्तावना का क्या महत्व है? विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय संविधान की मूल प्रस्तावना को स्पष्ट कीजिए।
  58. प्रश्न- संवैधानिक उपचारों का अधिकार पर टिप्पणी लिखिये।
  59. प्रश्न- बयालिसवें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान की मूल प्रस्तावना में किये गये सुधारों को बताइये।
  60. प्रश्न- एकल नागरिकता क्या है?
  61. प्रश्न- 'लोक कल्याणकारी राज्य' पर टिप्पणी लिखिए।
  62. प्रश्न- भारतीय संविधान के नागरिकता सम्बन्धी प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- भारत में किसी भी व्यक्ति की नागरिकता किन आधारों पर समाप्त हो सकती है?
  66. प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  67. प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
  68. प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
  70. प्रश्न- मौलिक कर्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व पर प्रकाश डालिये।
  71. प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
  72. प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
  74. प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
  75. प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
  76. प्रश्न- निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
  77. प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
  78. प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
  79. प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
  80. प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों से आप क्या समझते हैं? संविधान में इनके उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- संविधान में वर्णित नीति निर्देशक सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  82. प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  83. प्रश्न- मौलिक अधिकारों तथा नीति निर्देशक सिद्धान्तों में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
  85. प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त के स्वरूप और क्षेत्र का वर्णन कीजिये। भारतीयराजनीतिक व्यवस्था में सुधार के लिए यह किस प्रकार उपयोगी है?
  86. प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
  87. प्रश्न- हमारे देश में नीति निर्देशक तत्वों का कार्यान्वयन कहाँ तक हुआ है, स्पष्ट कीजिए।
  88. प्रश्न- राज्य के उन नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
  89. प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- नीति निर्देशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- भारत में संविधान संशोधन (Constitutional Amendment) की क्या प्रक्रिया अपनाई गई है? विस्तारपूर्वक समझाइए।
  92. प्रश्न- भारतीय संसद की संविधान संशोधन की शक्ति के विषय में आप क्या जानते हैं?
  93. प्रश्न- अनुच्छेद 356 चौवालीसवें संविधान संशोधन विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
  94. प्रश्न- राष्ट्रपति पद की योग्यतायें एवं कार्यकाल बताते हुए इस पद की संवैधानिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया को समझाइये, उसे अपने पद से कैसे हटाया जा सकता है तथा राष्ट्रपति के पद रिक्तता की स्थिति में उसके कार्यों को कैसे सम्पादित किया जाता है?
  96. प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की स्थिति के सम्बन्ध में संवैधानिक प्रधान की धारणा का विश्लेषण कीजिए।
  97. प्रश्न- प्रधानमन्त्री की स्थिति उसका महत्व तथा उसकी भूमिका की समीक्षा कीजिए।
  98. प्रश्न- भारतीय संघ में प्रधानमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? शासन में उसका क्या महत्व है?
  99. प्रश्न- भारत में मंत्रिपरिषद के गठन, कार्य व शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- भारत में मंत्रिमंडलीय प्रणाली की विशेषतायें बताइये।
  101. प्रश्न- उपराष्ट्रपति पद की योग्यतायें, कार्यकाल तथा निर्वाचन पद्धति बताइये।
  102. प्रश्न- उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
  104. प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- क्या भारतीय राष्ट्रपति 'रबर स्टैम्प' है? पुष्टि कीजिए।
  106. प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्ति (Veto Power) का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- अनुच्छेद 352 पर प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- अनुच्छेद 356 पर टिप्पणी लिखिये।
  110. प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री की विशिष्ट स्थिति पर टिप्पणी कीजिए।
  111. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के सम्बन्धों पर टिप्पणी कीजिए।
  112. प्रश्न- भारत में प्रधानमन्त्री के प्रभुत्व से वृद्धि के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  113. प्रश्न- प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालक के रूप में टिप्पणी लिखिए।
  114. प्रश्न- प्रधानमन्त्री और संसद पर टिप्पणी लिखिए।
  115. प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमन्त्री की स्थिति का वर्णन कीजिए।
  116. प्रश्न- मंत्रिपरिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व पर टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- भारतीय संसद की संरचना का संक्षेप में वर्णन कीजिए। संसद के कार्य एवं शक्तियाँ बताइये।
  118. प्रश्न- राज्य सभा की संरचना, कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  119. प्रश्न- लोकसभा की संरचना एवं लोकसभा का कार्यकाल बताते हुए इसके कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  120. प्रश्न- लोकसभा की शक्तियों एवं स्थिति का विश्लेषण कीजिए
  121. प्रश्न- भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति, शक्तियों तथा कार्यों की विवेचना कीजिये।
  122. प्रश्न- संसद में कानून निर्माण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  123. प्रश्न- संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
  124. प्रश्न- लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं अधिकार संक्षेप में बतायें।
  125. प्रश्न- राज्य सभा के पदाधिकारियों के विषय में बताइए।
  126. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में लोकसभा के क्या विशेषाधिकार हैं?
  127. प्रश्न- धन विधेयक एवं वित्त विधेयक के मध्य भेद स्पष्ट कीजिए।
  128. प्रश्न- संसदीय व्यवस्था की विशेषताएँ बताइये।
  129. प्रश्न- भारतीय संसद में विपक्ष की भूमिका टिप्पणी कीजिए।
  130. प्रश्न- राज्यपाल की नियुक्ति एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  131. प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकीय कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की भूमिका अथवा स्थिति की विवेचना कीजिए।
  133. प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? उसकी राज्य के शासन में क्या भूमिका और स्थिति है?
  134. प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति, उसके अधिकार एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए एवं मन्त्रिपरिषद एवं विधानसभा के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  135. प्रश्न- राज्यपाल, मंत्रिपरिषद तथा मुख्यमंत्री के आपसी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  136. प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकी शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  137. प्रश्न- राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  138. प्रश्न- 'केन्द्रीय अभिकर्ता' के रूप में राज्यपाल की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
  139. प्रश्न- राज्यपाल का निर्वाचन क्यों नहीं होता? संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  140. प्रश्न- संविधान के अनुच्छेद 356 के संदर्भ में राज्य के राज्यपाल की क्या भूमिका है?
  141. प्रश्न- मुख्यमन्त्री / मन्त्री पद की पात्रता सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय के 10 सितम्बर, 2000 के निर्णय की व्याख्या कीजिए।
  142. प्रश्न- 'मुख्यमंत्री चयन की राजनीति टिप्पणी कीजिए।
  143. प्रश्न- विधानसभा की रचना तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- विधान परिषद की रचना किस प्रकार होती है? उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन का वर्णन कीजिए।
  146. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक समीक्षा के अधिकार का वर्णन कीजिए तथा इसका महत्व समझाइये।
  147. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  148. प्रश्न- भारत में सर्वोच्च न्यायालय के संगठन, शक्तियों और कार्यों की विवेचना कीजिए। इसे भारतीय संविधान का संरक्षक क्यों कहा जाता है?
  149. प्रश्न- उच्च न्यायालय के गठन एवं न्यायाधीशों की नियुक्ति, कार्यकाल,शपथ एवं स्थानान्तरण पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार या शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
  151. प्रश्न- मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका पर टिप्पणी लिखिए।
  152. प्रश्न- 'सामाजिक न्याय' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  153. प्रश्न- न्याय पुनः निरीक्षण की शक्ति तथा उच्च न्यायालयों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  154. प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
  155. प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  156. प्रश्न- केन्द्र तथा राज्यों के बीच सम्बन्धों के सुधार के लिए आप किन उपायों को आवश्यक समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  157. प्रश्न- राज्य स्वायत्तता (Autonomy) से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  158. प्रश्न- 'सहकारी संघवाद' (Co-operative Federalism) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  159. प्रश्न- क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
  160. प्रश्न- वित्त आयोग के गठन पर टिप्पणी कीजिए।
  161. प्रश्न- राष्ट्रीय विकास परिषद के गठन पर प्रकाश डालिए।
  162. प्रश्न- लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  163. प्रश्न- संविधान की 5वीं एवं 6ठी अनुसूची किन क्षेत्रों को विशेष दर्जा प्रदान करती है? स्पष्ट कीजिए।
  164. प्रश्न- संविधान की छठी अनुसूची किन क्षेत्रों से सम्बन्धित विशेष प्रावधान करती है?
  165. प्रश्न- संविधान में आदिवासी क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधान क्यों रखे गये? स्पष्ट कीजिए।
  166. प्रश्न- भारत और उत्तर-पूर्व के राज्यों को लागू इनर-लाइन परमिट क्या है?
  167. प्रश्न- भारत में निर्वाचन आयोग के संगठन एवं कार्यों अथवा शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  168. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  169. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  170. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  171. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  172. प्रश्न- निर्वाचन विषयक आधारभूत सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  173. प्रश्न- मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
  174. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  175. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  176. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book